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अनुप्रिया की दो बाल कविताएं...

बिहार के सुपौल की अनुप्रिया नई दिल्ली में रहती हैं. बड़ो के साथ साथ बच्चों  के लिए भी खूब लिखती हैं.  नंदन ,स्नेह ,बाल भारती ,जनसत्ता,नन्हे सम्राट , जनसंदेह टाइम्स ,नेशनल दुनिया ,बाल भास्कर ,साहित्य अमृत ,बाल वाटिका, द्वीप लहरी ,बाल बिगुल आदि पत्र पत्रिकाओं में इनकी बाल कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं. एक बात और अनुप्रिया चित्रांकन भी करती हैं. पेश है उनकी दो बाल कविताएं...


किताब

काले अक्षर की माला में
गूंथा हुआ जवाब हूँ
मैं तो प्यारी मुनिया की
एकदम नयी किताब हूँ

मेरे भीतर कई कहानी
कितने सारे रंग
उड़ता बादल,चहकी चिड़िया
सब हैं मेरे संग

उड़नखटोला अभी उड़ा है
लेकर सपने साथ
आसमान की सैर करेंगे
दे दो अपना हाथ

प्यासा कौवा ढूँढ रहा है
पानी की एक मटकी
शेर आ रहा पास है अब तो
साँस हमारी अटकी

मुन्ना खाए आम रसीला
मुनिया देखे फूल

खेल-खेल में पढ़ते बच्चे
बातें सारी भूल.

 

चिड़िया रानी

चिड़िया रानी पल भर ठहरो
मुझको तुम एक बात बताओ
कैसे गाती इतना मीठा
आज पहेली यह सुलझाओ

कैसे नन्हे पंखों के बल
आसमान छू पाती हो
तुम्हें पकड़ने हम जो आएं
झट से तुम उड़ जाती हो

कैसे छोटी चोंच तुम्हारी
चुग जाती है दानों को
आज बताना होगा तुमको
हम नन्हे अनजानों को

एक दिन फुरसत में हमको भी
आसमान की सैर कराओ
चूं-चूं- चीं-चीं की भाषा में
नयी कहानी हमें सुनाओ।

 

रेखांकन शिल्पी का है.
उनके और चित्र http://designbyshilpi.blogspot.in/ पर देख सकते हो.




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